पिछले दस वर्षों से नित्य दिन संविधान की धज्जियाँ उड़ने, हत्या करने वाली मोदी सरकार जिसे देश की महान जनमानस द्वारा 04 जून 2024 को मोदी मुक्त भारत बनाने से बौखलाए मोदी-शाह ने संविधान जैसे पूजनीय पवित्र शब्दों के साथ हत्या को जोड़कर देश के सबसे बड़े लोकतंत्र का निर्माण किया है। महान ग्रंथ का अपमान करने का काम किया गया है।
बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रतिनिधि सह प्रवक्ता प्रो विजय कुमार मिट्ठू, पूर्व विधायक मोहम्मद खान अली, जिला कांग्रेस उपाध्यक्ष बाबूलाल प्रसाद सिंह, रामप्रमोद सिंह, दामोदर गोस्वामी, प्रद्युम्न दुबे, विनोद उपाध्याय, विपिन बिहारी सिन्हा, कुंदन कुमार, युवा कांग्रेस अध्यक्ष विशाल कुमार, मोहम्मद शमीम आलम, मोहम्मद समद, रूपेश चौधरी, राजीव कुमार सिंह ढीली लबी सिंह, शिव कुमार चौरसिया, उदय शंकर पालित, अमित कुमार सिंह ढीली रिंकू सिंह, टिंकू गिरी, राजेश अग्रवाल आदि ने कहा कि मोदी सरकार अपने दस वर्षों के कार्यकाल में देश के हर गरीब और वंचित तबके से हर पल उनका आत्मसम्मान छीना है। इस उदाहरण में जब मध्य प्रदेश में भाजपा नेता आदिवासियों पर पेशाब करता है या जब उत्तर प्रदेश के हाथरस में प्रदूषण की बेटी का पुलिस जबरन अंतिम संस्कार कर देती है, तो वह संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है?
नेताओं ने कहा कि जब हर 15 मिनट में मुसलमानों के खिलाफ एक बड़ा अपराध घटता है और हर दिन 6 दलित महिलाओं के साथ बलात्कार होता है, जब अल्पसंख्यकों पर अवैध बुलडोजर चलाकर 2 साल में 1.5 लाख घर तोड़कर 7.38 लाख लोगों को बेघर कर दिया जाता है। जाता है, तो क्या यह संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है।
जब मणिपुर में पिछले 13 महीनों से भयानक हिंसा की घटनाएं हो रही हैं, तो जहां प्रधानमंत्री कदम तक नहीं उठाना चाहते, क्या यह संविधान की हत्या नहीं है।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं गृहमंत्री अमित शाह के मुंह से संविधान की बातें अच्छी नहीं लगतीं क्योंकि भाजपा, आर एस एस, जनसंघ ने संविधान को कभी नहीं माना, क्या यह सच नहीं है कि आर एस एस के मुख्य संगठनकर्ता ने 30 नवंबर 1949 को कहा था के अंक में संपादकीय में लिखा गया था- भारत के इस नए संविधान की सबसे बुरी बात यह है कि इसमें भारतीय कुछ भी नहीं है और यहां आर एस एस स्पष्ट तौर पर भारतीय संविधान के मुख्य निर्माता यानी बाबासाहेब डॉ भीमराव अंबेडकर जी के विरोध में क्यों हैं और मनु स्मृति के समर्थन में खड़ी हुई।
नेताओं ने मनामाने ढंग से नोट बंद करने से बैंकों की लाइन में खड़े होने वाले 120 लोगों की मौत हो गई, कोरोना काल में बिना तैयारी के लॉकडाउन आदि से लाखों लोगों की मौत क्या संविधान की हत्या नहीं है।
नेताओं ने कहा कि देश के अन्नदाता किसानों पर तीन काले कानून टूटने के बाद महीनों तक चलने वाले उनके आंदोलन को कुचलने के लिए लाठियां बरसाने, आंसू गैस, रबर की गोली बरसाने से 750 किसानों ने अपने प्राण गवां दिए।
नेताओं ने कहा कि देश के संसदीय इतिहास में पहली बार देश की संसद को सत्ता रूढ़ दल का मैदान बना दिया गया, तथा विपक्षी दलों के 146 सांसदों को निलंबित करना संविधान की हत्या नहीं है।
नेताओं ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट के 5वें जज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कोर्ट में दखल अंदाजी पर सवाल उठाया, तो देश के संवैधानिक सिद्धांतों ई डी, सी बी आई, आई टी का सरकार ने इस्तेमाल कर 95% प्रेस कॉन्फ्रेंस के नेताओं पर केस दबाए, कई चुने हुई सरकारें गिराने, राजनीतिक दलों को तोड़ने, चुनाव से दो हफ्ते पहले देश के प्रमुख विपक्षी दलों के बैंक खातों को फ्रीज करने, दो-दो मुख्यमंत्रियों को जेल में डालने आदि क्या संविधान की हत्या नहीं है।
नेताओं ने कहा कि इलेक्ट्रोल बॉन्ड स्कीम को संसद में जोरदार तरीके से लागू कर चंदे का धंधा बनाने और ईडी, सी बी आई, आई टी का डर दिखा कर, भाजपा को कानूनी तौर पर मालामाल किया जाय, देश के हजारों स्वतंत्र पत्रकार, विश्वविद्यालय के छात्र , नागरिक समाज के लोग, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, कार्यकर्ता को जबरदस्ती जेल में बंद करना आदि क्या संविधान की हत्या नहीं है।
नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार संविधान जैसे पवित्र शब्द के साथ हत्या जैसे शब्द जोड़कर बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर का अपमान कर रही है।