शिव शिष्य हरीन्द्रानंद फाउंडेशन ने विराट कार्यक्रम का आयोजन किया गया, हजारों की संख्या में भक्तजन पहुंच

IMG 20250119 WA0114 IMG 20250119 WA0104 IMG 20250119 WA0108

इंजीनियर अर्जुन केसरी

शिव शिष्य ग्रीनरानंद फाउंडेशन के सुलेबट्टा, मैदान, बाराचट्टी द्वारा बिहार में शिव गुरु महोत्सव का आयोजन किया गया। उक्त कार्यक्रम का आयोजन महेश्वर शिव के गुरु स्वरूप से एक-एक व्यक्ति के शिष्य के रूप में जुड़वाँ हो सके इसी बात को सुनने और समझने की निमित्त बनी। शिव शिष्य साहब श्री हरिद्रानंद जी के संदेश को लेकर आई कार्यक्रम की मुख्य वक्ता बहन बरखा आनंद ने कहा कि शिव केवल नाम के नहीं बल्कि काम के गुरु हैं। शिव के आराध्य स्वरूप से धन-धान्य, संतान संपदा आदि प्राप्त करने का व्यापक महत्व है तो उनका गुरु स्वरूप से ज्ञान भी क्यों नहीं प्राप्त किया गया? किसी भी संपत्ति या संपत्ति के उपयोग में ज्ञान की कमी घातक हो सकती है।

बहन बरखा आनंद ने कहा कि शिव जगत गुरु हैं। मूलतः एवं जगत का एक-एक व्यक्ति किसी भी धर्म, जाति, संप्रदाय, लिंग का हो शिव को अपना गुरु बना सकता है। शिव का होना शिष्य के लिए किसी पारंपरिक नैतिकता या दीक्षा की आवश्यकता नहीं है। केवल यही विचार है कि ”शिव मेरे गुरु हैं” शिव के शिष्य के स्वमेव की शुरुआत होती है। किसी का विचार, हम आपको शिव का शिष्य बनाना चाहते हैं।
आप सभी जानते हैं कि शिव शिष्य साहेब श्री हरीन्द्रानंद जी के सन् 1974 में शिव जी ने अपना गुरु माना था। 1980 के दशक तक आते-आते शिव के शिष्यों की अवधारणा भारत के विभिन्न स्थानों पर व्यापक रूप से फैलती चली गई। शिव शिष्य साहेब श्री हरींद्रानंद जी और धर्मपत्नी निकेलिन आनंद जी द्वारा जाति, धर्म, लिंग, वर्ण, संप्रदाय आदि से परे मानव गुणों को भगवान शिव के गुरु स्वरूप से जोड़ा गया।
बहन बरखा आनंद ने कहा कि यह अवधारणा पूर्णतः आध्यात्मिक है, जो भगवान शिव के गुरु स्वरूप से एक-एक व्यक्ति के सिद्धांत से संबंधित है। उन्होंने कहा कि शिव के शिष्य और शिष्य आपके सभी संगठन शिव गुरु हैं और दुनिया का एक-एक व्यक्ति उनके शिष्य हो सकते हैं, किसी न किसी रूप में सामने आते हैं। शिव गुरु कथ्य बहुत पुराने हैं। भारत के अधिकांश लोग इस बात को जानते हैं कि भगवान शिव गुरु हैं। आदि गुरु एवं जगतगुरु हैं। हमारे साधू विधान एवं पैशाचिक जिओ महेश्वर शिव द्वारा आदि गुरु परम गुरु आदि विभिन्न स्तरों से विभूषित किया गया है।
शिवकाशी से मंत्र तीन सूत्र ही सहायक है।
पहला सूत्र:- अपने गुरु शिव से मन ही मन यह कहे कि हे शिव आप मेरे गुरु हैं मैं आपका शिष्य हूं, मुझ पर दया करो।
दूसरा सूत्र:- सबको सुनाना और पूछना है कि कौन सा शिव गुरु है इसलिए दूसरे लोग भी शिव को अपना गुरु बताएं।
तीसरा सूत्र:- अपने गुरु शिव को मन ही मन प्रणाम करना है। इच्छा हो तो “नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
इन तीन दरवाजों के अलावा किसी भी अंधविश्वास या एडंबर का कोई स्थान बिल्कुल नहीं है। इस महोत्सव में प्रोटोटाइप क्षेत्र से लगभग हजारों लोग शामिल हुए। इस कार्यक्रम में शामिल स्टार्स ने भी अपने-अपने विचार प्रकट किये।